
होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रंगों का पर्व भी कहा जाता है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली मनाने के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं:

1.प्रह्लाद और होलिका की कथा

इस कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु नामक असुर राजा भगवान विष्णु का विरोधी था और चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकशिपु ने उसे मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन असफल रहा। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहा। इसी घटना की याद में होली के एक दिन पहले “होलिका दहन” किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
2. राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी

भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा भी होली से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि कृष्ण अपने गहरे रंग को लेकर परेशान रहते थे और माता यशोदा ने उन्हें सुझाव दिया कि वे राधा और गोपियों पर रंग लगा सकते हैं। तभी से यह परंपरा शुरू हुई और ब्रज में विशेष रूप से रंगों की होली मनाई जाती है।
3. वसंत ऋतु का स्वागत
होली का पर्व वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। यह समय फसल कटाई का भी होता है, इसलिए किसान खुशी मनाते हैं और नाच-गाकर इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।
निष्कर्ष
होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर जीत, प्रेम और भाईचारे, और प्रकृति के बदलाव का प्रतीक है। इसी कारण इसे पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है।